राष्ट्रगीत

👧🏻राष्ट्रगीताबद्दल माहिती👦🏻

१) राष्ट्रगीत (National Anthem) : रविंद्रनाथ टागोर यांनी मूळ बंगाली भाषेत लिहिलेले ‘ जन-गण-मन ’ या गाण्याच्या हिंदी रुपांतरनाचे संविधान सभेने २४ जानेवारी १९५० रोजी राष्ट्रगीत म्हणून स्विकार केला.
२) २७ डिसेंबर १९११ रोजी भारतीय कोंग्रेसच्या कलकत्ता अधिवेशनामध्ये हे सर्वप्रथम गायले गेले.

३) राष्ट्रगीतामध्ये एकूण पाच कडवे असून हे गीत पूर्णपणे ५२ सेकंदामध्ये म्हणण्याची प्रथा आहे.

४) काही वेळेस हे गीत संक्षिप्त रुपात गायले जाते त्याचा कालावधी २० सेकंद आहे.


५) जन-गण-मन हे गीत पहिल्यांदा जानेवारी १९१२ मध्ये ‘ भारत विधाता ’ या शीर्षकाखाली ‘ तत्व बोधिनी ’ पत्रिकेमध्ये छापले गेले होते.
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👦🏻राष्ट्रगीत👧🏻
जन-गण-मन अधिनायक, जय हे,
     भारत-भाग्य विधाता।
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा-द्राविड़ उत्कल बंग,
विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा, 
     उच्छल-जलधि तरंग,
तव शुभ नामे जागे, 
तव शुभ आशिष मांगे,
     गाहे तव जय-गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
     भारत-भाग्य विधाता। 
जय हे, जय हे, जय हे,
     जय जय जय जय हे॥      
          Sablesir                                                          👦🏻वंदे मातरम् गीत👧🏻           का प्रथम पद इस प्रकार है-

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥
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👧🏻राष्ट्रगीत👦🏻                  जन-गण-मन अधिनायक जय है 
भारत भाग्य विधाता 
तू जनतेच्या हृदयाचा स्वामी आहेस. भारताचा भाग्योदय करणारा आहेस. तुझा जयजयकार असो! 

पंजाब सिंध गुजरात मराठा 
द्राविड उत्कल बंग। 
पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र, द्राविड म्हणजे दक्षिण भाग, उत्कल म्हणजे आताचा ओडिशा, बंगाल या सर्वांना तुझा नामघोष जागृत करतो. जागे करतो. 

विंध्य हिमाचल यमुना गंगा, 
उच्छल जलधितरंग। 
विंध्याद्री आणि हिमाचल इथपर्यंत तुझे यशोगान ऐकू येतं. गंगा-यमुनेच्या प्रवाह संगीतात ते निनादित होतं. उसळी मारणाऱ्या समुद्राच्या लाटाही तुझ्या नामाचा गजर करतात. 

तव शुभ नामे जागे, 
तव शुभ आशिष मांगे; 
गाहे तव जय गाथा। 
जन-गण मंगलदायक जय है, 
भारत-भाग्य-विधाता। 
हे सर्व तुझ्यापाशी आशीर्वाद मागतात. तुझी कीर्ती गातात. तू सर्व लोकांचं मंगल करणारा आहेस.
        जय हे, जय हे, जय हे, 
जय जय जय जय है।। 

तुझा जय जयकार. त्रिवार जयजयकार.
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राष्ट्रीय गीत है जिसकी रचना बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा की गई थी। इन्होंने 7 नवम्बर, 1876 ई. में बंगाल के कांतल पाडा नामक गाँव में इस गीत की रचना की थी। वंदे मातरम् गीत के प्रथम दो पद संस्कृत में तथा शेष पद बांग्ला भाषा में थे। राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को स्वरबद्ध किया और पहली बार 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में यह गीत गाया गया। अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेज़ी में और आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया। 'वंदे मातरम्' का स्‍थान राष्ट्रीय गान 'जन गण मन' के बराबर है। यह गीत स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था।
           Sablesir     👦🏻वाक्य-दर-वाक्य अर्थ👧🏻
जनगणमन आधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जनगणमन:जनगण के मन/सारे लोगों के मन; अधिनायन:शासक; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य-विधाता(भाग्य निर्धारक) अर्थात् भगवान
जन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!

पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग
पंजाब:पंजाब/पंजाब के लोग; सिन्धु:सिन्ध/सिन्धु नदी/सिन्धु के किनारे बसे लोग; गुजरात:गुजरात व उसके लोग; मराठा:महाराष्ट्र/मराठी लोग; द्राविड़:दक्षिण भारत/द्राविड़ी लोग; उत्कल:उडीशा/उड़िया लोग; बंग:बंगाल/बंगाली लोग
विन्ध्य:विन्ध्यांचल पर्वत; हिमाचल:हिमालय/हिमाचल पर्वत श्रिंखला; यमुना गंगा:दोनों नदियाँ व गंगा-यमुना दोआब; उच्छल-जलधि-तरंग:मनमोहक/हृदयजाग्रुतकारी-समुद्री-तरंग या मनजागृतकारी तरंगें
उनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल
एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पे बसे लोगों के हृदयों में मनजागृतकारी तरंगें भर उठती हैं
                                 तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जयगाथा
तव:आपके/तुम्हारे; शुभ:पवित्र; नामे:नाम पे(भारतवर्ष); जागे:जागते हैं; आशिष:आशीर्वाद; मागे:मांगते हैं
गाहे:गाते हैं; तव:आपकी ही/तेरी ही; जयगाथा:वजयगाथा(विजयों की कहानियां)
सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठने हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते हैं
और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं
जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
जनगणमंगलदायक:जनगण के मंगल-दाता/जनगण को सौभाग्य दालाने वाले; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य विधाता
जय हे जय हे:विजय हो, विजय हो; जय जय जय जय हे:सदा सर्वदा विजय हो
जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता

विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो
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