सांघिक खेळ

सांघिक खेळ 
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सांघिक खेळाची मैदान माहिति 
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क्रिकेट 
क्रिकेट-बॉल-155.9 ग्राम से 163 ग्राम, बल्ला-96.5 सेंटीमीटर लंबाई 10.8 से.मीटर चौड़ाई पिच-20.12 मीटर
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हॉकी 
हॉकी-मैदान-100 गज ङ्ग 60 गज
बॉल -5.5 औंस से 5.75 औंस तक
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बॅडमिंटन 
बैडमिंटन-कोर्ट-13.40 मी. ङ्ग 5.18 मीटर
नैट की भूमि से ऊंचाई-1.524 मीटर
शटल का भार-4.73 से 5.50
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फुटबॉल 
फुटबाल-मैदान की माप 100 मीटर ङ्ग 64 मीटर से 110 मीटर ङ्ग 75 मीटर तक
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व्हॉलिबॉल 
वॉलीबाल-मैदान की माप-18 मीटर ङ्ग 9 मीटर
नेट महिलाओं के लिए 9.50 मीटर ङ्ग मीटर ङ्ग 2.24 मीटर
नेट पुरूषों के लिए 9.50 मीटर ङ्ग 1 मीटर ङ्ग 2.43 मीटर बाल-66मीटर
बॉल का भार-270 ग्राम
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लॉन टेनिस 
लॉन टेनिस-कोर्ट 23.77 मीटर ङ्ग 8.23 मीटर
बाल-6.35 मीटर से 6.67 सें. मीटर
9.40 ग्राम से 9.53 ग्राम
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कबड्डी 
कबड्डी – मैदान-13 मीटर से 10 मीटर
13 मीटर् लांबी / 10 मीटर् रुंदी 
बालगट 11 मीटर् लांबी / 8 मीटर् रुंदी 
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खो- खो 
खो-खो-मैदान 34 मीटर ङ्ग 10 मीटर
लांबी 29 मीटर् / रुंदी 14 मीटर् 
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बास्केट बॉल 
बास्केट बाल-कोर्ट 85 फुट ङ्ग 56 फीट
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बॉक्सिंग 
बॉक्सिंग-रिंग 12 वर्गफुट से 20 वर्ग फुट
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बेसबॉल 

बेसबॉल – बेस 90 फुट कर्ण की दूरी 127 फुट
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प्रो कबड्डी चे नियम 
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I. टॉस जीतने वाली टीम अपनी पसंद के कोर्ट (पाला) या पहले रैड करने का विकल्प चुन सकती है। टॉस हारने वाली टीम को पीछे बचा विकल्प स्वीकार करना होगा। दूसरे हाफ में टीमों के पाले बदल जाएँगे और पहले हाफ़ में अपना रैडर पहले भेजने से शुरुआत नहीं करने वाली टीम अब अपना रैडर पहले भेजेगी। पहले हाफ़ के अंत में प्रत्येक टीम में जितने खिलाड़ी थे, उतने ही खिलाड़ियों से दूसरे हाफ़ की शुरुआत होगी।

II. किसी खिलाड़ी के शरीर का कोई भी हिस्सा कोर्ट के बाहर (किसी भी एन्ड लाइन के बाहर) छू जाने पर उसे आउट घोषित किया जाएगा। संघर्ष के समय, खिलाड़ी का पूरा शरीर बाहर होने और कोई भी हिस्सा कोर्ट (लॉबी एरिया सहित) के भीतर न होने पर ही उसे आउट घोषित माना जाएगा।

a. खेल के दौरान किसी खिलाड़ी के एन्ड लाइन के बाहर जाने पर उसे आउट माना जाएगा। अम्पायर या रैफरी आउट हुए खिलाड़ी का रैड के दौरान सक्रिय न होना सुनिश्चित करेंगे। अम्पायर या रैफरी उनका नंबर बोलकर उनके आउट होने की घोषणा करेंगे। व्हीसल नहीं बजाई जाएगी और रैड जारी रहेगी।

b. यदि रैडर को पकड़े रखकर एक या अधिक डिफेंडर कोर्ट से बाहर आ जाते हैं तो रैडर नॉट आउट माना जाएगा। जो डिफेंडर बाहर निकले हैं, केवल वे ही आउट माने जाएँगे।

III. संघर्ष शुरू होने पर, रैड के दौरान संघर्ष के समय और उसके बाद लॉबिज़ को भी कोर्ट का हिस्सा माना जाएगा। संघर्ष में शामिल खिलाड़ी अपने कोर्ट में जाने के लिए लॉबी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह नियम डिफेंडिंग टीम के पाले पर ही लागू होगा।


IV. रैडर को स्वीकृत कैन्ट के रूप में “कबड्डी” का उच्चारण लगातार जारी रखना चाहिए। यदि विरोधी के पाले में रहते समय स्वीकृत कैन्ट का सही और निरंतर उच्चारण नहीं करता है तो उसे आउट माना जाएगा। विरोधी टीम को एक अंक और रैड करने का अवसर मिलेगा। इस परिस्थिति में डिफेंडर उसके पीछे नहीं पड़ेंगे
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प्रो कबड्डी नियम 
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V. रैडर को विरोधी टीम के पाले में जाने से पहले कैन्ट शुरू करना होगा। यह वह देरी से कैन्ट शुरू करता है तो अम्पायर या रैफरी उसे आउट घोषित कर सकते हैं। विरोधी टीम को एक अंक मिलेगा और रैड का अवसर मिलेगा।

VI. यदि रैडर अपनी बारी के बगैर जाता है तो अम्पायर या रैफरी उसे वापस जाने का आदेश दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में विरोधी टीम को एक तकनीकी अंक और रैड का अवसर मिलेगा।

VII. विरोधी टीम के पाले में एक बार में एक से अधिक रैडर नहीं जाने चाहिए। ऐसा करने पर अम्पायर या रैफरी सभी को लौटने का आदेश दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में विरोधी टीम को एक तकनीकी अंक और रैड का अवसर मिलेगा।

VIII. रैडर के अपने पाले में लौटने के 5 सेकण्ड के अंदर विरोधी टीम को अपना रैडर भेजना होगा। इस तरह गेम के अंत तक दोनों टीमें अपना रैडर भेजना जारी रखेंगी। यदि रैडर 5 सेकण्ड के अंदर रैड शुरू नहीं करता है तो वह टीम रैड का अवसर खो देगी और विरोधी टीम को एक तकनीकी पॉइन्ट मिलेगा।

IX. यदि रैड में संघर्ष होता है तो ऐसी रैड की समाप्ति पर उपर्युक्त नियम VIII लागू नहीं होगा। ऐसे में अगली रैड आउट हुए खिलाड़ियों के बाहर बैठने के बाद रैफरी के व्हीसल बजाने पर शुरू होगी।

X. यदि एक या अधिक डिफेंडरों द्वारा पकड़े जाने के बाद रैडर उनसे छूटकर अपने पाले में सुरक्षित पहुँच जाता है तो उसे खदेड़ा नहीं जाना चाहिए।

a. नोट : लेकिन यदि कोई रैडर एक या अधिक डिफेंडरों को छूकर अपने पाले में सुरक्षित लौटे तो उसे खदेड़ा जा सकता है।

XI. यदि रैडर विरोधी टीम के पाले में अपनी कैन्ट जारी नहीं रख पाता है तो उसे आउट माना जाएगा और विरोधी टीम को एक पॉइन्ट और रैड का अवसर मिलेगा।

XII. रैडर के पकड़े जाने पर डिफेंडर को उसकी कैन्ट रोकने की जबरन कोशिश नहीं करनी चाहिए। मुँह बन्द करके, हिंसात्मक तरीके से या चोट पहुँचाने की संभावना वाली, पैरों की कैंची में उलझा कर या अनुचित तरीकों से कैन्ट रो

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* हॉकी *
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👧🏻हॉकी👦🏻
हॉकीचे मैदान १०० यार्ड (९० मीटर्स) लांब आणि ६० यार्डस् (५५ मीटर्स) रुंद असते. हॉकीसाठी वापरल्या जाणा-या बॉलचं वजन १५६ ग्रॅम्स ते १६३ ग्रॅम्स इतकं असतं. बॉलचा व्यास ८.८१ इंच ते ९.२५ इंच इतका असतो. हॉकी स्टीक डाव्या बाजूने सपाट असते आणि वजन साधारणपणे १२ ते २८ पाउंडस् इतकं असतं. हॉकीचा गेम सुरू करण्यापूर्वी दोन्ही संघातील एक एक खेळडू आपापली हॉकी स्टीक जमिनीवर व एकमेकांच्या हॉकीस्टीकवर आदळतात. आणि खेळ सुरू होतो. मैदानाच्या रुंदीकडील भागाला जोडणा-या रेषेला 'गोल लाईन' म्हणतात. संपूर्ण मैदानाचे दोन समान भाग करणाऱ्या आणि गोल लाईनला समांतर जाणा-या मध्यभागातील रेषेला फिफ्टी यार्ड-लाईन किंवा सेंटर लाईन म्हणतात. खेळ पुन्हा सुरू करण्यासाठी खेळाडू त्याच्या टीमच्या दिशेने बॉल फेकतो. या कृतीला पास बॅक म्हणतात. या शिवाय कॅरी, कॉर्नर, ड्रिबल, हॅट-ट्रीक, साइड लाईन, स्ट्रायकिंग, सर्कल या संज्ञा हॉकीशी संबंधित आहेत.
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फुटबॉल 
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👦🏻फुटबॉल👧🏻
अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए पीच की लम्बाई १००-110&न मीटर की श्रेणी में है (110-120 यार्ड) और चौडाई 64-75&n मीटर की श्रेणी में है (70-80 यार्ड) गैर अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए 91-120 मीटर लम्बाई हो सकता है (100-130यार्ड) और चौडाई 45-91मीटर (हो सकता है अगर पीच एक वर्ग नही बनता है। सबसे बड़ी सीमा रेखाएं टच रेखाएं या किनारे की रेखाएं हैं जबकि छोटी सीमा (जहाँ से गोल मारा जाता है)गोल की रेखाएं हैं। आयताकार गोल प्रत्येक गोल रेखा के मध्य पर स्थित होती है।[24] पुरी मैदान में ऊर्ध्वाधर गोल पोस्ट का भीतरी किनारा 7.३ मीटर अवश्य होता है (8 यार्ड) इसके आलावा क्षैतिज क्रॉसबार जो गोल पोस्ट द्वारा समर्थित होती, का निचला छोर 2.44 मीटर होना चाहिए.(8 फीट) आम तौर पर जाल गोल के पीछे रखा जाता है, लेकिन कानून के अनुसार उसकी कोई आवश्यकता नहीं है।[25]

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खो - खो 
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👧🏻खोखोचे क्रीडांगण👦🏻
 १११ फूट (३३·६ मी.) लांब व ५१ फूट (१५·५ मी.) रुंद असते. मध्यपाटीची रुंदी १ फूट (३० सेंमी.) व लांबी ८१ फूट (२४·६८मी.) असते. खुंटाची उंची ४ फूट (१·३६ मी.) व परीघ १३" ते १६" (३३·०२ ते ४०·६४ सेंमी.) असतो. दोन्ही खुंटांपासून अनुक्रमे पहिल्या पाटीचे अंतर ८. १/२ फूट (२·५४  मी.) असते. बाकी सर्व पाट्यांचे मधील अंतर ८ फूट (२·४३ मी.) असते. खुंटांच्या दोन्ही बाजूला १५ ' × ५१' (४·५६ मी. × १५·५४  मी.) असे चौकोन असतात. नऊ नऊ खेळाडूंच्या दोन संघांत हे सामने होतात. दर ८ फूट (२·४३ मी.) अंतरावर आठ खेळाडू एकाआड एक एकमेकांच्या विरुद्ध बाजूकडे तोंडे करून बसतात. नववा खेळाडू एका खुंटाजवळ उभा राहतो. खेळणा-या संघातील तीन खेळाडूच सुरुवातीला👧🏻नियम👦🏻 
: बसलेल्या खेळाडूला पाठलाग करणा-याने मागून स्पर्श करून ‘खो’ म्हटले म्हणजे तो उठून पळणा-याचा पाठलाग करू लागतो आणि खो देणारा त्याची जागा घेतो. खो मिळाल्यावाचून खेळाडूने उठावयाचे नसते. पाठलाग करणा-याला दिशा बदलता येत नाही. उठल्याबरोबर त्या खेळाडूची स्कंधरेषा (दोन्ही खांद्यांना जोडणारी कल्पित रेषा) ज्या बाजूला वळलेली असेल, त्या बाजूलाच त्याला वळावे लागते किंवा ती मध्यपाटीस समांतर असेपर्यंत त्याला वळता येते. पाठलाग करणाराला खेळाडूंच्या मधून किंवा खुंटांमधून जाता येत नाही. खुंटाला वळसाच घालावा लागतो किंवा खांबाजवळील रेषेला स्पर्श करून पुन्हा परतता येते. चौकोनात पाठलाग करणाराला कसेही फिरता येते.
खेळणा-याने सीमारेषांत राहूनच खेळावयाचे असते. बसलेल्या खेळाडूंना त्याने स्पर्श केल्यास तो बाद होतो. प्रत्येक डाव लहान वयाच्या स्पर्धकांसाठी ५ मिनिटांचा आणि मोठ्यांसाठी ७ मिनिटांचा असतो. प्रत्येक डावानंतर २ १/२ मिनिटे आणि दोन डावांनंतर पाच मिनिटे विश्रांती असते. एका डावात जितके खेळाडू बाद होतील, तितके गुण विरुद्ध संघाला मिळतात. एखाद्या संघाचे गुण प्रतिस्पर्धी संघापेक्षा १२ गुणांनी जास्त असल्यास हा आघाडीवर असलेला संघ दुस-या संघास पुन्हा बसण्यास म्हणजे पाठलाग करण्यास सांगू शकतो. पाठलाग करताना नियमभंग केला, तर पंच ताबडतोब ती चूक सुधारावयास लावतात. त्यामुळे खेळणा-याच्या पाठलागात खंड पडून त्याला काही वेळ मिळतो. एका सामन्यासाठी प्रत्येक संघाला दोन वेळा खेळावे लागते.
खोखोच्या सामन्यासाठी दोन पंच, एक सरपंच, एक गुणलेखक आणि क्वचित प्रसंगी काही सामन्यांत वेळाधिकारी असतो. अन्यथा ही कामगिरी सरपंच पार पाडतो.

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कबड्डी 
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👦🏻कबड्डी👧🏻
 खेळासाठी लागणारे क्रीडांगणांची ३ गटात वर्गवारी केली जाते.
पुरूष व कुमार गटाच्या मुलांसाठी १३.०० मी. बाय १०.०० मी. ,
महिला व कुमारी गटाच्या मुलींसाठी १२.०० मी. बाय ८.०० मी. तसेच
किशोर व किशोरी गटाच्या मुलामुलींसाठी ११.०० मी. बाय ८.०० मी.असे आयताकृती क्रीडांगण बनवतात. ते बनवताना बारीक चाळलेली माती व शेणखत यांचा वापर करून एकसारखे सपाट मैदान
खेळांचे नियम
कबड्डी खेळासाठी लागणारे क्रीडांगणांची ३ गटात वर्गवारी केली जाते.
पुरूष व कुमार गटाच्या मुलांसाठी १३.०० मी. बाय १०.०० मी. ,
महिला व कुमारी गटाच्या मुलींसाठी १२.०० मी. बाय ८.०० मी. तसेच
किशोर व किशोरी गटाच्या मुलामुलींसाठी ११.०० मी. बाय ८.०० मी.
असे आयताकृती क्रीडांगण बनवतात. ते बनवताना बारीक चाळलेली माती व शेणखत यांचा वापर करून एकसारखे सपाट मैदान बनवले जाते. पूर्वी फक्त खुल्या मैदानावर होणारा हा खेळ आता बंदिस्त जागेत व मॅटवरही खेळवलाजातो
👧🏻क्रिडांगणाविषयी माहिती👦🏻
अ) पुरुष व कुमार गट मुले यांच्यासाठी 1. क्रिडांगणाची रुंदी 10 मी. व लांबी 13 मी. असते.
2. मध्यरेषा 6.50 मीटरवर असते.
3. राखीव क्षेत्र क्रिडांगणाच्या दोन्ही बाजूस 1 मी. असते.
4. निदानरेषा क्रिडांगणाच्या मध्यरेषेपासून 3.50 मीटर अंतरावर असते.
5. निदान रेषेपासून 1 मी. अंतरावर अंतिम रेषेच्या बाजूस एक रेषा बोनस रेषा म्हणून आखली जाईल.
6. सिटींग बॉक्स 8 मी X 1 मी. असून तो अंतिम रेषेपासून 2 मीटरवर असते.
ब) महिला व कुमारी मुली यांच्यासाठी
1. क्रिडांगणाची रुंदी 8 मी. व लांबी 12 मी. असते.
2. मध्यरेषा 6 मीटरवर असते.
3. राखीव क्षेत्र क्रिडांगणाच्या दोन्ही बाजूस 1 मी. वर असते.

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खो - खो ची नियम 
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👦🏻खो-खो चे नियम👧🏻
: खो-खोमध्ये दोन संघ असतात. प्रत्येक संघात १२ खेळाडू असतात. परंतु एका वेळेस ९ खेळाडू खेळतात. खेळ दोन भागांमध्ये विभागला जातो. दोन भागांमध्ये ५ मिनिटे विश्रांतीचा कालावधी असतो. प्रत्येक भागात पुन्हा दोन उपभाग असतात. त्यातील पहिल्या उपभागात पहिला संघ पाठलाग करतो व दुसरा संघ बचाव करतो. दुस-या उपभागात पहिला संघ बचाव करतो तर दुसरा पाठलाग करतो. दोन्ही उपभगांमध्ये २ मिनिटे विश्रांतीचा काळ असतो. थोडक्यात, संपूर्ण खेळ साधारणतः ३७ मिनिटे (७+२+७+५+७+२+७) चालतो.
खेळाच्या सुरुवातीला पाठलाग करणा-या संघाचे आठ खेळाडू दोन खांबांमधील आठ चौकोनांत आळीपाळीने विरुद्ध दिशांना तोंड करून बसतात. नववा खेळाडू कोणत्याही एका खांबाजवळ उभा राहतो.बचाव करणा-या संघाचे तीन खेळाडू मैदानात असतात. खेळ सुरु झाल्यावर पाठलाग करण्या-या संघाचा नववा खेळाडू बचाव करणा-या संघाच्या तीन खेळाडुंना बाद करण्याचा प्रयत्न करतो. पाठलाग करणा-या खेळाडुवर खालील बंधने असतात.
· एकदा एका खांबाकडील दिशा पकडल्यावर तो आपली दिशा बदलू शकत नाही (खांबाला स्पर्श करून तो आपली दिशा बदलू शकतो)
·तो दोन खांबाना जोडणारी रेषा ओलांडू शकत नाही
पळ्ण्याची दिशा बदलण्यासाठी पकडणारा खेळाडू इतर खेळाडुंना खो देऊ शकतो. खो देण्याची प्रक्रिया पुढीलप्रमाणे घडते.
· पळणारा खेळाडू मैदानाच्या ज्या बाजूस असेल, त्या बाजूस पाठ करून बसलेल्या खेळाडुंनाच तो खो देउ शकतो
· खो देताना पळणारा खेळाडू खो दिल्या जाणा-या खेळाडुच्या पाठीवर थाप मारुन 'खो' असा आवाज करतो.
·  खो घेतलेला खेळाडू मग, त्याचे तोंड असलेल्या बाजूस उजव्या किंवा डाव्या दिशेस (पकडण्यासाठी) पळण्यास सुरुवात करतो.
· ज्याने खो दिलेला आहे तो खेळाडु, खो घेतलेल्या खेळाडुची जागा घेतो.
वरील प्रकारे खो-खोची साखळी सुरु रहाते.
बचाव करणा-या खेळाडुवर मैदानात पळताना कोणतेही निर्बंध नसतात. कोणताही बचाव करणारा खेळाडू खालील प्रकारांनी बाद होऊ शकतो
· पकडणा-या खेळाडुने (बचाव करणा-या खेळाडुस) तळ्हाताने स्पर्श केल्यावर
बचाव करणारा खेळाडू मैदानाबाहेर गेल्यास
· बचाव करणारा खेळाडुने मैदानात उशीरा प्रवेश केल्यास
बचाव करणा-या संघाचे तीनही खेळाडू बाद झाल्यावर पुढचे तीन खेळाडू मैदानात प्रवेश करतात. नवीन खेळाडुंनी पुढचा खो देण्याआधी मैदानात उतरणे आवश्यक असते. अन्यथा त्यांना बाद धरण्यात येते.
बाद केलेल्या प्रत्येक खेळाडुच्या बदली प्रतिस्पर्धी संघाला एक गुण मिळतो. पहिल्या भागाच्या अखेरीस प्रत्येक संघाचे गुण बघितले जातात. ज्यासंघाचे गुण जास्त, त्या संघाची विरुद्ध संघावर दोन्ही संघांमधील गुणांच्या फरकाइतकी आघाडी धरली जाते. दुस-या भागाच्या अखेरीस, जो संघ आघाडी मिळवितो तो संघ त्या आघाडीने विरुद्ध संघावर मात करतो.
असतात. नववा खेळाडू एका खुंटाजवळ उभा राहतो. खेळणा-या संघातील तीन खेळाडूच सुरुवातीला क्रीडांगणात असतात. पंचांनी इशारा देताच खेळास प्रारंभ होतो. पहिले तीन खेळाडू बाद झाल्यानंतर दुसरे तीन खेळाडू खेळात भाग घेतात. अशा रीतीने खेळणा-या संघातले सर्व खेळाडू बाद झाले, की लोण होते व डावाचा वेळ शिल्लक असल्यास पुन्हा पहिले तीन खेळाडू पळतीसाठी मैदानात उतरतात. वेळ संपल्यानंतर दुसरा संघ खेळावयास मैदानात उतरतो. प्रत्येक संघात दोन राखीव खेळाडू असतात. खेळताना एखादा खेळाडू जबर जखमी झाल्यास सरपंचाच्या परवानगीने राखीव खेळाडू खेळू शकतो; पण प्रतिस्पर्धी संघाच्या कप्तानाला ही गोष्ट सांगावी लागते.
बसलेल्या खेळाडूला पाठलाग करणा-याने मागून स्पर्श करून ‘खो’ म्हटले म्हणजे तो उठून पळणा-याचा पाठलाग करू लागतो आणि खो देणारा त्याची जागा घेतो. खो मिळाल्यावाचून खेळाडूने उठावयाचे नसते. पाठलाग करणा-याला दिशा बदलता येत नाही. उठल्याबरोबर त्या खेळाडूची स्कंधरेषा (दोन्ही खांद्यांना जोडणारी कल्पित रेषा) ज्या बाजूला वळलेली असेल, त्या बाजूलाच त्याला वळावे लागते किंवा ती मध्यपाटीस समांतर असेपर्यंत त्याला वळता येते. पाठलाग करणाराला खेळाडूंच्या मधून किंवा खुंटांमधून जाता येत नाही. खुंटाला वळसाच घालावा लागतो किंवा खांबाजवळील रेषेला स्पर्श करून पुन्हा परतता येते. चौकोनात पाठलाग करणाराला कसेही फिरता येते.
खेळणा-याने सीमारेषांत राहूनच खेळावयाचे असते. बसलेल्या खेळाडूंना त्याने स्पर्श केल्यास तो बाद होतो. प्रत्येक डाव लहान वयाच्या स्पर्धकांसाठी ५ मिनिटांचा आणि मोठ्यांसाठी ७ मिनिटांचा असतो. प्रत्येक डावानंतर २ १/२ मिनिटे आणि दोन डावांनंतर पाच मिनिटे विश्रांती असते. एका डावात जितके खेळाडू बाद होतील, तितके गुण विरुद्ध संघाला मिळतात. एखाद्या संघाचे गुण प्रतिस्पर्धी संघापेक्षा १२ गुणांनी जास्त असल्यास हा आघाडीवर असलेला संघ दुस-या संघास पुन्हा बसण्यास म्हणजे पाठलाग करण्यास सांगू शकतो. पाठलाग करताना नियमभंग केला, तर पंच ताबडतोब ती चूक सुधारावयास लावतात. त्यामुळे खेळणा-याच्या पाठलागात खंड पडून त्याला काही वेळ मिळतो. एका सामन्यासाठी प्रत्येक संघाला दोन वेळा खेळावे लागते.
खोखोच्या सामन्यासाठी दोन पंच, एक सरपंच, एक गुणलेखक आणि क्वचित प्रसंगी काही सामन्यांत वेळाधिकारी असतो. अन्यथा ही कामगिरी सरपंच पार पाडतो.

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कबड्डीचे नियम 
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👦🏻कबड्डीचे नियम👧🏻
: फेक जिंकणारा संघ “अंगण’ किंवा “चढाई’ यापैकी निवड करतो. दुस-या डावात अंगण बदलून अगोदर असतील तेवढेच खेळाडू घेऊन डाव सुरु करतात. त्यावेळी प्रथम ज्या संघाने चढाई संघाने केलेली नसते तो संघ चढाई करतो.

2) चढाई करणा-याने “कबड्‌डी’ हा उचार स्पष्टपणे आणि सलग केला पाहिजे. तसे न आढळल्यास पंचाने अथवा सरपंचाने त्याला ताकीद देऊन विरुध्द संघाला चढाईची संधी द्यावी. त्यावेळी पाठलाग करता येणार नाही.

3) चढाई करणा-याने मध्यरेषा ओलांडण्यापूर्वी दम घालण्यास सुरुवात करावी तसे न आढळल्यास पंचांनी विरुध्द संघाला चढाईची संधी द्यावी.

4) खेळ चालू असताना खेळाडूचा कोणताही भाग अंतिम मर्यादेबाहेर जाऊ नये तसा गेल्यास तो बाद ठरविला जाईल. पण झटापटीच्या वेळी तसे असल्यास तो खेळाडू बाद नसतो. अशा वेळेस शरीराचा कोणताही भाग आत असला तरी चालतो.

5) झटापट सुरु झाल्यास राखीव क्षेत्राच्या क्रीडाक्षेत्रात समावेश होतो. झटापट संपल्यावर खेळाडूंनी आपापल्या क्षेत्रात परत जाताना राखीव क्षेत्राचा उपयोग करता येतो.

6) खेळ चालू असताना खेळाडू अंतिम रेषेबाहेर गेल्यास त्याला पंचांनी बाहेर काढावे.

7) ताकीद देऊनही खेळाडू आपल्या अंगणात दम घालवल्यास वा “कबड्डी’ शब्द उच्चारण्यास सुरुवात करत नसेल तर त्याला बाद न देता त्याची चढाईची पाळी संपली असे जाहीर करुन विरुध्द संघाला एक गुण द्यावा.

8 ) चढाई करणारा आपल्या अंगणात गेल्यावर अथवा बाद झाल्यानंतर प्रतिपक्षाने पाच सेकंदात आपला खेळाडू चढाईसाठी पाठवावा.
9}  चढाई करणारा आक्रमक खेळाडू बचाव करणाऱ्या खेळाडूला स्पर्श करुन आपल्या अंगणात परत जात असताना त्याला पाठलाग करता येईल परंतु चढाई करणारा पकडीतून सुटून जात असेल अशा वेळी मात्र त्याचा पाठलाग करता येणार नाही.

10) चढाई करणा-या खेळाडूच्याविरुध्द अंगणात दम गेल्यास तो बाद ठरविला जाईल.

11) चढाई करणारा बचाव करणा-या एक किंवा अधिक खेळाडूंना केवळ स्पर्श करुन जात असेल तर त्याचा पाठलाग करता येईल.

12) एकावेळी एकापेक्षा जास्त खेळाडूंनी चढाई केल्यास ती ग्राह्य न मानता प्रतिस्पर्धी संघास चढाईची संधी दिली जाते.

13) वारंवार सूचना देऊन एकापेक्षा जास्त खेळाडूंची चढाईस जात असतील तर पंचांनी प्रथम गेलेल्या खेळाडूखंरीज बाकी सर्व खेळाडूंना बाद ठरवावे.

14) हेतूपुरस्पर चढाई करणा-या खेळाडूचा दम घालवणे अथवा कैची अथवा अयोग्य पकड करुन चढाई करणा-यास दुखापत करणे या गोष्टी दिसल्यास पंचांनी चढाई करणा-या खेळाडूस नाबाद ठरवावे.

15) बचाव करणा-या खेळाडूने चढाई करणा-या खेळाडूला अंतिम मर्यादेपर्यंत ढकलू नये अथवा चढाई करणा-या खेळाडूने बचाव करणा-या खेळाडूला बाहेर ओढू नये. तसे बुध्दीपुरस्सर करणा-या खेळाडूस बाद घोषित करावे.

16) चढाई पूर्ण होईपर्यंत म्हणजेच चढाई करणारा आपल्या अंगणात जाईपर्यंत बचाव करणा-या खेळाडूपैकी कुणीही मध्यरेषा ओलांडू नये तसे केल्यास त्या खेळाडूला बाद दिले जाईल.

17) चढाई सुरु करताना बचाव करणा-या खेळाडूने मध्यरेषेला स्पर्श करुन त्या चढाई करणा-यास पकडले अथवा मदत केली तर बचाव करणारा बाद होईल.
18 }जो संघ लोण करेल त्या संघास दोन गुण मिळतात. लोण झाल्यावर दहा सेकंदात सर्व संघ परत मैदानात आला नाही तर प्रतिपक्षास एक गुण द्यावा. तसे करुनही जर संघ मैदानात येत नसेल तर तो प्रत्येक पाच सेकंदाला एक याप्रमाणे सामन्याचा वेळ संपेपर्यंत गुण देत राहतील.

19) वारंवार पाळी नसताना एखादा खेळाडू चढाईस जात असेल तर प्रतिस्पर्धी संघास एक गुण द्यावा.

20) चढाई करणा-या खेळाडूस सूचना अथवा जागृत करण्याचा जर प्रयत्न केला गेलातर प्रतिस्पर्धी संघास गुण द्यावा.

21) प्रतिपक्षाचा एक खेळाडू बाद झाल्यास एक खेळाडू आत येतो.

22) पंच किंवा सरपंचाने एखाद्या संघाला वारंवार गुण दिल्यास त्या संघाला फक्त गुण मिळतात. पण त्यांचे बाद असलेले खेळाडू उठू शकत नाहीत.

23) कोणत्याही अडथळ्याने सामना बंद पडला व तो 20 मिनिटांच्या आत सुरु झाल्यास सामना उरलेल्या वेळ तेच खेळाडू व त्याच गुणसंख्येवर खेळवावा. मात्र त्यानंतर सुरु होत असल्यास सामना सुरुवातीपासून खेळवावा. त्यावेळी पूर्वीचेच खेळाडू असावेत असे बंधन नाही.

24) निलंबित वा बडतर्फ खेळाडूसाठी बदली खेळाडू घेता येणार नाही. तसेच निलंबीत वा बडतर्फ करण्याचे कमी झालेल्या खेळाडूंची संख्या असताना बोनस रेषेचा नियम लागू होईल. तसेच लोण झाल्यास कमी असलेल्या खेळाडूच्या संख्येइतके गुण, अधिक दोन गुण दिले जातील.
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