पसायदान / संविधान

पसायदान / संविधान 
👧🏻पसायदान👦🏻              आता विश्वात्मकें देवें । येणे वाग्यज्ञें तोषावें ।
तोषोनिं मज ज्ञावे । पसायदान हें ॥
जें खळांची व्यंकटी सांडो । तया सत्कर्मी- रती वाढो ।
भूतां परस्परे पडो । मैत्र जीवाचें ॥
दुरितांचे तिमिर जावो । विश्व स्वधर्म सूर्यें पाहो ।
जो जे वांच्छिल तो तें लाहो । प्राणिजात ॥
वर्षत सकळ मंगळी । ईश्वरनिष्ठांची मांदियाळी ।
अनवरत भूमंडळी । भेटतु भूतां ॥
चलां कल्पतरूंचे आरव । चेतना चिंतामणींचें गाव ।
बोलते जे अर्णव । पीयूषाचे ॥
चंद्र्मे जे अलांछ्न । मार्तंड जे तापहीन ।
ते सर्वांही सदा सज्जन । सोयरे होतु ॥
किंबहुना सर्व सुखी । पूर्ण होऊनि तिन्हीं लोकी ।
भजिजो आदिपुरुखी । अखंडित ॥
आणि ग्रंथोपजीविये । विशेषीं लोकीं इयें ।
दृष्टादृष्ट विजयें । होआवे जी ।
येथ म्हणे श्री विश्वेशराओ । हा होईल दान पसावो ।
येणें वरें ज्ञानदेवो । सुखिया जाला ॥
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                     👧🏻English👦🏻                   
ātā viśvātmakeṁ deveṁ | yeṇe vāgyajñeṁ toṣāveṁ |
toṣoniṁ maja jñāve | pasāyadāna heṁ ||
jeṁ khaḻāṁcī vyaṁkaṭī sāṁḍo | tayā satkarmī- ratī vāḍho |
bhūtāṁ paraspare paḍo | maitra jīvāceṁ ||
duritāṁce timira jāvo | viśva svadharma sūryeṁ pāho |
jo je vāṁcchila to teṁ lāho | prāṇijāta ||
varṣata sakaḻa maṁgaḻī | īśvaraniṣṭhāṁcī māṁdiyāḻī |
anavarata bhūmaṁḍaḻī | bheṭatu bhūtāṁ ||
calāṁ kalpatarūṁce ārava | cetanā ciṁtāmaṇīṁceṁ gāva |
bolate je arṇava | pīyūṣāce ||
caṁdrme je alāṁchna | mārtaṁḍa je tāpahīna |
te sarvāṁhī sadā sajjana | soyare hotu ||
kiṁbahunā sarva sukhī | pūrṇa hoūni tinhīṁ lokī |
bhajijo ādipurukhī | akhaṁḍita ||
āṇi graṁthopajīviye | viśeṣīṁ lokīṁ iyeṁ |
dṛṣṭādṛṣṭa vijayeṁ | hoāve jī |
yetha mhaṇe śrī viśveśarāo | hā hoīla dāna pasāvo |

yeṇeṁ vareṁ jñānadevo | sukhiyā jālā ||
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👧🏻संविधान की प्रस्तावना हिंदी👦🏻

" हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :
             सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा
               उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए
                दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद
               द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
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